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इंदौर की शाहबानो पर बनी फिल्म पर संकट…हाईकोर्ट में केस:फिल्म 'हक' में हैं इमरान हाशमी; बेटी बोली-डायलॉग मां के सम्मान को धूमिल करने वाले
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तीन तलाक पर अपने पति से कानूनी लड़ाई लड़ने वाली इंदौर की शाहबानो पर बनी फिल्म ‘हक’ की रिलीज पर विवाद गहरा गया है। शाहबानो की बेटी सिद्दिका बेगम ने फिल्म पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका लगाई थी, जिस पर मंगलवार को दो घंटे चली सुनवाई
सिद्दिका बेगम खान ने फिल्म के रिलीज, प्रदर्शन और प्रमोशन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर सुपर्ण एस. वर्मा, जंगली पिक्चर्स, बावेजा स्टूडियोज और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के चेयरपर्सन को कानूनी नोटिस भेजा है।
फिल्म में शरिया कानून की नकारात्मक छवि दिखाई
सिद्दिका बेगम के वकील तौसीफ वारसी ने बताया कि फिल्म मेकर्स ने शाहबानो पर फिल्म बनाने से पहले उनकी कानूनी वारिस से कोई अनुमति नहीं ली। याचिका में कहा है कि फिल्म में शरिया कानून की नकारात्मक छवि दिखाई गई है, जिससे मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हो सकती हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट तौसीफ वारसी, जंगली पिक्चर की ओर से सीनियर एडवोकेट अजय बागडिया, इंसोमनिया मीडिया एंड कंटेट सर्विसेज लिमिटेड की तरफ से हितेश मेहता और मिनिस्ट्री ऑफ ब्रॉडकास्ट की ओर से एडवोकेट रोमेश दवे उपस्थित हुए।

डायलॉग के वर्जन खराब और आपत्तिजनक याचिकाकर्ता सिद्दीकी बेगम की ओर से एडवोकेट तौसीफ वारसी ने तर्क रखे कि फिल्म के टीजर और ट्रेलर में जो दिखाया गया है, उसमें कुछ ईवेंट्स ऐसे बताए हैं जो मां की प्रतिष्ठा, सम्मान को धूमिल करते हैं। इसमें डायलॉग के कुछ वर्जन खराब और आपत्तिजनक हैं। वास्तविक जिंदगी में माता-पिता के बीच ऐसे संवाद कभी नहीं रहे।
एडवोकेट वारसी ने तर्क रखे कि एक तरफ तो कहते हैं कि शाहबानो बेगम ने संघर्ष किया था। खासकर महिला होकर, जबकि उस समय महिला सशक्तीकरण इतना मजबूत नहीं था, जितना आज है। उन्होंने पति से अधिकार की लड़ाई लड़ी। धर्म के पहलू का ध्यान रखा और कोर्ट से खुद का अधिकार हासिल किया।
इस तरह उनकी छवि को अच्छे से दर्शाया है, लेकिन डायलॉग उनकी प्रतिष्ठा को काफी ठेस पहुंचाते हैं। फिल्म के डायलॉग परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करते हैं, वह भी तब जब शाहबानो इस दुनिया में नहीं हैं।

जवाब में कहा- प्रतिष्ठा धूमिल करने जैसी बात नहीं दूसरी ओर जंगली पिक्चर की ओर से सीनियर एडवोकेट अजय बागड़िया और इंसोमनिया मीडिया एंड कंटेंट सर्विसेज लिमिटेड की ओर से हितेश मेहता ने तर्क रखे कि डायलॉग में कुछ आपत्तिजनक नहीं है। न ही परिवार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसी बात है। ईवेंट्स अच्छे नजरिए और बेहतर तरीके से फिल्माया है।
करीब दो घंटे चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। गौरतलब है कि 7 नवंबर को फिल्म 'हक' रिलीज होने वाली है।
याचिका में कहा- तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया एडवोकेट वारसी ने आगे कहा कि यह फिल्म शाहबानो के जीवन और 1970 के दशक में महिलाओं के अधिकारों को लेकर चले ऐतिहासिक मुकदमे पर आधारित है, लेकिन बिना अनुमति और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
शाहबानो की बेटी की याचिका में ये भी कहा गया है कि फिल्म हक स्वर्गीय शाहबानो बेगम की निजी और व्यक्तिगत जीवन को दर्शाती है, जिसमें उनके परिवार से जुड़े कई संवेदनशील घटनाक्रम, पर्सनल एक्सपीरियंस और सोशल परिस्थितियां शामिल हैं। वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल सिद्दिका के पास उनकी मां शाहबानो के जिंदगी के मोरल और लीगल अधिकार सुरक्षित हैं।






















